ज्ञानवापी विवाद : इलाहबाद हाई कोर्ट ने एएसआई से कथित शिवलिंग का कार्बन डेटिंग विधि से साइंटिफिक सर्वे कराने का दिया आदेश
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- May 12, 2023
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इलाहबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान कथित रूप से मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग किये जाने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में जिला जज के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसमे शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था।
ग़ौरतलब है कि वाराणसी की जिला अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के कारण शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने की मांग को ख़ारिज कर दिया था।
इसी आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने इलाहबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से शिवलिंग को बिना नुक्सान पहुंचाए कार्बन डेटिंग करने का आदेश दिया है।
शुक्रवार को इलाहबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अरविन्द कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला जज के आदेश को रद्द कर दिया और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया।
क्या है कार्बन डेटिंग और क्यों है इसकी ज़रूरत ?
दरअसल 16 मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान मस्जिद के वज़ुखाने में यह कथित शिवलिंग मिला था।
तब ही से इस कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कार्बन डेटिंग के माध्यम से कराए जाने की मांग हिन्दू पक्षकार करता रहा है।
कार्बन डेटिंग की विधि का उपयोग किसी भी वस्तु की आयु का पता लगाने के लिए किया जाता है। ऐसी हर वह चीज़ जिसमे कार्बनिक अवशेष पाए जाते हैं इस विधि के माध्यम से उसकी उम्र का पता लगाया जा सकता है। कार्बन डेटिंग की विधि में किसी वस्तु में पाए जाने वाले कार्बन 12 और 14 के बीच का अनुपात निकाल कर उस वस्तु की आयु निर्धारित की जाती है।
किसी पत्थर या चटान की आयु पता लगाने के लिए उसमे कार्बन 14 का पाया जाना ज़रूरी होता है।